मनोविज्ञान शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘मन का विज्ञान’ है। मनोविज्ञान शब्द का
अंग्रेजी समानार्थक शब्द “Psychology” (साइकोलॉजी) है जो की यूनानी (ग्रीक)
भाषा के दो शब्दों “Psyche”(साइके) और “Logos”(लोगास) के मिलने से बना है।
Psyche (साइके) शब्द का अर्थ “आत्मा” और Logos (लोगास) शब्द का अर्थ होता
है “अध्ययन”। अतः Psychology का शाब्दिक अर्थ है – “आत्मा का अध्ययन”।
मनोविज्ञान की परिभाषायें :-
1. वाटसन के अनुसार, “ मनोविज्ञान, व्यवहार का निश्चित या शुद्ध विज्ञान है।”
2. वुडवर्थ के अनुसार, “ मनोविज्ञान, वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहारों का विज्ञान है।”
3. मैक्डूगल के अनुसार, “ मनोविज्ञान, आचरण एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है।”
4. क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, “ मनोविज्ञान मानव – व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन है।”
5. बोरिंग के अनुसार, “ मनोविज्ञान मानव प्रकृति का अध्ययन है।”
6. स्किनर के अनुसार, “ मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।”
7. मन के अनुसार, “आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।”
8. गैरिसन व अन्य के अनुसार, “ मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रत्यक्ष मानव – व्यवहार से है।”
9. गार्डनर मर्फी के अनुसार, “ मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो जीवित व्यक्तियों का उनके वातावरण के प्रति
अनुक्रियाओं का अध्ययन करता है।”
क्रमशः मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन :-
प्रारम्भिक अवस्था में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र की एक शाखा के रूप में था
लेकिन दर्शनशास्त्र से अलग होने के बाद इसका एक स्वतंत्र विषय के रूप में
उदय हुआ। दर्शनशास्त्र से अलग होने की प्रक्रिया में मनोविज्ञान ने अनेक
अर्थ ग्रहण किए जिन्हें हम निम्न प्रकार से समझ सकते है :-
1. आत्मा का विज्ञान :-
16 वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान कहा गया। इस अर्थ के
प्रबल समर्थक प्लेटो, अरस्तु, डेकार्टे आदि दार्शनिक मनोवैज्ञानिक थे।
लेकिन आत्मा क्या है? इसकी प्रकृति या स्वरुप क्या है? क्या इसे देखा जा
सकता है? मनोवैज्ञानिकों द्वारा इन प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थता के
कारण इस परिभाषा को अस्वीकार कर दिया गया।
2. मन का विज्ञान :-
17 वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा गया। इस
अर्थ का प्रबल समर्थक पाॅम्पोनाजी था। लेकिन मन या मस्तिष्क क्या है? इसका
अध्ययन किस प्रकार किया जा सकता है? इन प्रश्नों के अर्थों को स्पष्ट नहीं
कर पाने के कारण मनोविज्ञान का यह अर्थ भी अस्वीकार कर दिया गया।
3. चेतना का विज्ञान :-
19 वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहा गया। इस अर्थ के
प्रबल समर्थक विलियम जेम्स, विलियम वुंट, वाईव्स आदि मनोवैज्ञानिक प्रमुख
थे। इन्होंने केवल चेतन मन की ही बात की है, जबकि फ्रायड ने मनोविश्लेषण
वाद में चेतन मन के अलावा अचेतन व अर्द्ध चेतन मन के बारे में भी बताया गया
है जिस पर इन्होंनें कोई चर्चा नहीं की। अतः मनोविज्ञान का यह अर्थ भी
अस्वीकार कर दिया गया।
4. व्यवहार का विज्ञान :-
20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रुप
में स्वीकार किया गया। और वर्तमान में मनोविज्ञान के इसी अर्थ को सर्वमान्य
अर्थ के रूप में स्वीकार किया गया है। इस अर्थ के प्रबल समर्थक वाट्सन,
वुडवर्थ, स्किनर आदि मनोविज्ञानिकों हैं।
मनोविज्ञान के अर्थ परिवर्तन को वुडवर्थ ने निम्न प्रकार से परिभाषित किया है :-
“सर्वप्रथम मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा को छोडा, फिर अपने मन को त्यागा, फिर अपनी चेतना खोई और अब यह व्यवहार के ढंग को अपनाऐ हुए है।”
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ :-
शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों के मिलने से बना है, शिक्षा मनोविज्ञान। जिसका
शाब्दिक अर्थ है, “शिक्षा से सम्बन्धित मनोविज्ञान”। शिक्षा मनोविज्ञान के
अन्तर्गत मनोविज्ञान के संप्रत्ययों, सिद्धांतो तथा विधियों का प्रयोग
शैक्षणिक परिस्थितियों को उन्नत बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार
मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना ही शिक्षा
मनोविज्ञान कहलाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषायें :-
1. स्टीफन के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।”
2. क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से लेकर
वृद्धावस्था तक के अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है।”
3. स्किनर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत शिक्षा से सम्बन्धित सम्पूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।”
4. कॉलसनिक के अनुसार, “मनोविज्ञान के सिद्धान्तों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षामनोविज्ञान कहलाता है।”
5. सॉरे व टेलफोर्ड के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सीखने
से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की
वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से सम्बन्धित है।”
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